google-site-verification=f-4SH7lQDeEfduld7qeLL3RP7xNYO96R21jzCFZotg0 Raksha Bandhan 2020: आर्टिफिशियल राखियों को टक्कर दे रही हैं ईको फ्रेंडली राखियां

Raksha Bandhan 2020: आर्टिफिशियल राखियों को टक्कर दे रही हैं ईको फ्रेंडली राखियां


देहरादून, जेएनएन। Raksha Bandhan 2020 रक्षा बंधन के मौके पर बाजार रंग-बिरंगी राखियों से सज जाता है। बाजार में बड़े पैमाने पर प्लास्टिक से बनी राखियों का कारोबार हर साल होता है। लेकिन इस बार इन आर्टिफिशियल राखियों को टक्कर देने को बाजार में ईको फ्रेंडली राखियां उपलब्ध हैं। इन राखियों के डिजाइन न सिर्फ आपके मन को भाएंगे, बल्कि पर्यावरण के लिहाज से भी सुरक्षित हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड इनर्जी स्टडीज (यूपीईएस) से डिजाइनिंग की पढ़ाई कर रही ख्याति गुप्ता इन दिनों ईको फ्रेंडली राखियां तैयार कर रही हैं।

इन राखियों को बाजार में अच्छे दाम भी मिल रहे हैं। ख्याति का कहना है कि प्लास्टिक का बहिष्कार करने के उद्देश्य से उनके मन में ईको फ्रेंडली राखी बनाने का विचार आया। उन्होंने कुम्हार वाली मिट्टी से राखी बनाना शुरू किया। मिट्टी के साथ तुलसी के बीज भी गूंथ रही हैं। जिससे राखी उतारने के बाद उसे मिट्टी में डालकर तुलसी का पौधा भी उगाया जा सके। बताया कि राखी को बांधने के लिए भी रीसाइकिल कागज की लुगदी से धागा बनाया गया है। ख्याति की राखियां दून के बाजारों में कई दुकानों पर 75 से 100 रुपये के दाम में बिक रही हैं। उन्होंने मध्यप्रदेश के एक महिला समूह को भी 100 राखियां भिजवाई हैं। ख्याति वाट्सएप, फेसबुक आदि सोशल मीडिया साइट्स की मदद से भी राखियों का प्रचार कर रही हैं।


बोली बहनें 

  • कलश आदि थापा (गढ़ीकैंट) का कहना है कि भाई आर्मी में है तो हर साल घर आना संभव नहीं हो पाता। पिछले साल भाई राखी पर घर आया था। रक्षाबंधन पर भाई साथ हो तो इससे बेहतर क्या होगा। इस साल भी उसके आने की उम्मीद थी। लेकिन कोरोना के चलते नहीं आ सका। ऐसे में मैंने डाकघर के माध्यम से ही उसे राखी भेज दी है।
  • पूजा (चकराता रोड) का कहना है कि भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधे बिना रक्षाबंधन कैसा। लेकिन देश की रक्षा से बढ़कर और कुछ नहीं। भाई को राखी और रोली कुरियर कर चुकी हूं। राखी के दिन वीडियो कॉल से भी बधाई दूंगी। 


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