google-site-verification=f-4SH7lQDeEfduld7qeLL3RP7xNYO96R21jzCFZotg0 सरकार OTT पर सेल्फ सेंसरशिप की वकालत कर सकती है, क्योंकि 150 लोगों के स्टाफ पर डेढ़ हजार फिल्मों का बोझ है

सरकार OTT पर सेल्फ सेंसरशिप की वकालत कर सकती है, क्योंकि 150 लोगों के स्टाफ पर डेढ़ हजार फिल्मों का बोझ है

OTT प्लेटफॉर्म्स पर एडल्ट कंटेंट परोसने का आरोप अक्सर लगता है। यही वजह है कि सोशल और धार्मिक संगठन उन पर लगाम कसने की वकालत करते रहे हैं। इसे ध्यान में रखते हुए हाल में सरकार ने अधिसूचना जारी की कि OTT प्लेटफॉर्म्स को टेलीविजन नेटवर्क रूल्स के तहत चलना पड़ सकता है।

फिलहाल, इस मामले में सरकार की राह अभी थोड़ी मुश्किल लग रही है। फिल्मों के लिए जो सेंसर बोर्ड फिल्मों के सर्टिफिकेशन का काम कर रहा है, वो मैनपॉवर की कमी से जूझ रहा है। OTT प्लेटफार्म्स के कंटेंट पर कैसे लगाम लगाई जाएगी, इसे लेकर कोई रोडमैप तैयार नहीं है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से अलग-अलग जानकारियां अनौपचारिक तौर पर निकलकर सामने आ रही हैं, लेकिन सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) के अध्यक्ष प्रसून जोशी का कोई बयान अब तक सामने नहीं आया है। हालांकि, CBFC के कुछ पूर्व सदस्यों ने जरूर इसे लेकर बात की।

सेल्फ सेंसरशिप की वकालत कर रही सरकार

CBFC के एक रीजनल अधिकारी ने कहा, "फिलहाल सरकार ने सेल्फ सेंसरशिप की वकालत की है। वह इसलिए कि मंत्रालय पहले ही मैन पावर की कमी से जूझ रहा है। दि‍ल्ली और मुंबई को मिलाकर महज 150 लोगों का स्टाफ हैं। उन पर साल की छोटी, बड़ी, मझौली मिलाकर डेढ़ हजार फिल्‍में देखने का बोझ है। ऐसे में मंत्रालय का अधिकारी वर्ग अतिरिक्त काम ले सकने की स्थिति में नहीं है।"

इसी मेंबर ने आगे कहा, "सरकार की तरफ से स्मार्ट मूव लिया जा रहा है। OTT प्लेटफॉर्म्स से ‘सेल्फ रेज्युलेशन’ या सेल्फ सेंसरशिप की बात कही जाएगी। इसके तहत न्‍यूडिटी और गाली गलौज पर भले थोड़ी नरमी बरती जाए, लेकिन देश विरोधी मुद्दों को कतई नहीं बख्शा जाएगा। इस स्थिति में वेब शो या फि‍ल्मों या उनसे जुड़े फिल्‍मकारों पर शिकंजा कसा जाएगा। तकनीकी तौर पर इसे 'पिक एंड चूज' पॉलिसी कहते हैं।"

सेल्फ सेंसरशिप में OTT कंटेंट क्रिएटर्स को खुद ही तय करना होगा कि उनकी वेब सीरिज या फिल्मों में हिंसा, न्यूडिटी वगैरह अतिरेक भरे ना हो।

OTT पर सेंसरशिप के लिए कोई ड्रॉफ्ट नहीं

सेंसर में दो साल तक मेंबर रहे अमिताभ पाराशर कहते हैं, "CBFC के पास मैन पावर और बाकी संसाधनों की कमी है। ऐसे में अतिरिक्त वेब शो के सेंसर का काम भी वह कैसे ले पाएगी, वह देखने वाली बात होगी।" सेंसर बोर्ड के मौजूदा अधिकारियों ने भी पुष्टि की है कि अभी तक डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लिए तो कोई गाइडलाइंस ड्राफ्ट तैयार नहीं हुए हैं। न ही मंत्रालय में मैन पॉवर बढ़ाने की कोई चर्चा है।



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Censorship On OTT: Government to advocate self-censorship on OTT platforms


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