ऑस्ट्रेलिया टीम को 26 दिसंबर से भारत के खिलाफ मेलबर्न में बॉक्सिंग-डे टेस्ट खेलना है। क्रिसमस वीक में प्लेयर्स अपने परिवार के साथ नहीं रहेंगे। 40 साल में ऐसा पहली बार होगा, जब ऑस्ट्रेलियाई प्लेयर्स परिवार के बगैर बॉक्सिंग-डे टेस्ट खेलेंगे।
26 दिसंबर से ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और साउथ अफ्रीका में खेलना जाने वाला टेस्ट बॉक्सिंग-डे मैच कहा जाता है। पहला बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच 1950 में खेला गया था। 1980 में पहली बार ऑस्ट्रेलियाई प्लेयर्स के साथ परिवार के लोग भी मौजूद रहे थे। तब से यह परपंरा हर साल जारी रही।
सभी खिलाड़ी टीम में परिवार जैसा महसूस करते हैं
ऑस्ट्रेलियाई कोच जस्टिन लैंगर ने कहा, ‘‘50 साल में पहली बार हुआ है, जब मैं अपने परिवार के साथ नहीं हूं। मेरा मानना है कि खिलाड़ियों का साथ रहना ही ठीक रहेगा। जो सभी खिलाड़ी और स्टाफ बिना परिवार के हैं, वे 2020 में एक और बड़ा योगदान दे रहे हैं। ईमानदारी से कहूं तो टीम में सभी को परायापन नहीं, बल्कि परिवार जैसा ही महसूस होता है। सभी एकजुट हैं।’’
70 साल पुरानी है बॉक्सिंग-डे मैच की परंपरा, भारत ने अब तक ऐसे 12 टेस्ट खेले
30 हजार फैंस को एंट्री मिलेगी
बॉक्सिंग-डे टेस्ट के लिए सरकार ने स्टेडियम में 30 हजार फैंस को एंट्री की अनुमति दी है। यदि खिलाड़ियों के परिवार वाले स्टेडियम में आते भी हैं, तो बायो-बबल के चलते प्लेयर्स से नहीं मिल पाएंगे। इस पर लैंगर ने कहा, ‘‘खाली मैदान में खेलने से अच्छा है कि कम से कम 30 हजार फैंस तो मौजूद रहेंगे।’’
क्या है बॉक्सिंग-डे का मतलब
बॉक्सिंग-डे का बॉक्सिंग यानी मुक्केबाजी से कोई कनेक्शन नहीं है। दरअसल, क्रिसमस डे (25 दिसंबर) के अगले दिन को कई देशों में बॉक्सिंग डे के नाम से जाना जाता है। दुनिया में अलग-अलग जगहों पर इस दिन को लेकर अलग-अलग थ्योरी हैं। कई देशों में इसे क्रिसमस बॉक्स से जोड़कर देखा जाता है। वहीं, कई जगहों पर चर्च में त्योहार के दिन गरीबों को गिफ्ट करने के लिए रखे गए बॉक्स से जोड़ा जाता है।
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