ड्रग्स मामले में महीने भर से जेल में बंद रिया चक्रवर्ती समेत तीन लोगों को बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत दे दी। एनसीबी ने उन्हें एनडीपीएस एक्ट के सेक्शन 27ए के तहत गिरफ्तार किया था। मगर कोर्ट ने इस बात को मानने से इनकार कर दिया कि रिया ड्रग डीलर्स का हिस्सा हैं।
एनसीबी ने रिया के लिए 20 साल की कैद की सजा की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने बेहद असम्मानजनक और अनुचित करार दिया। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी जान-पहचान वाले शख्स ने नशीले पदार्थों के सेवन के लिए पैसे दिए हैं, तो सजा का हकदार सेवन करने वाला इंसान है, ना कि पेमेंट करने वाला। वो भी 20 साल तो कतई नहीं।
कोर्ट ने एनसीबी की 27ए की व्याख्या को गलत बताया
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, 'हम बचाव पक्ष के तर्क से सहमत हैं। सेक्शन 27ए की जो व्याख्या एनसीबी ने की है, वो जायज नहीं है। इसकी व्याख्या इस तरह नहीं होनी चाहिए, जैसे एनसीबी ने की है। हम एनसीबी के उस तर्क से सहमत नहीं हैं कि ड्रग्स सेवन के लिए दूसरों को पैसे देने से उस शख्स की नशे की लत को बढ़ावा मिलता है। यहां 'वित्तपोषण' वाली बात नहीं ठहरती।
रिया पर लगाए एनसीबी के आरोपों को गलत बताया
एनसीबी ने रिया पर ये आरोप भी लगाया था कि उन्होंने अपने पैसों का इस्तेमाल ड्रग का इंतजाम करने के लिए किया। साथ ही इस काम में अपने भाई शोविक और सुशांत के कर्मचारियों की मदद भी ली। यह भी सेक्शन 27 ए के दायरे में नहीं आता है। कोर्ट ने हालांकि यह जरूर माना है कि शोविक लेन देन में लिप्त था।
एनडीपीसी एक्ट के सेक्शन 8सी के उल्लंघन की बात मानी
कोर्ट ने एनसीबी की एक दलील को जरूर माना कि रिया मामले में एनडीपीएस एक्ट के सेक्शन 8सी का जरूर उल्लंघन हुआ। ऐसे में सेक्शन 20 और सेक्शन 22 के तहत सजा मुमकिन है। मगर इसके लिए जांच एजेंसी को ड्रग्स मामले में रिया की संलिप्तता दिखानी होगी।
रिया के घर से कोई नशीला पदार्थ नहीं मिलने की बात कही
कोर्ट ने कहा कि अब तक की जांच में एनसीबी को रिया या सुशांत के घर से कुछ नहीं मिला है। लिहाजा वर्जित नशीले पदार्थों के कमर्शियल लेनदेन का मामला नहीं बन रहा। उन पर लगाई गई धाराएं 19, 24 और 27 ए भी स्थापित नहीं होतीं। ये भी साबित नहीं हो रहा कि वो ड्रग डीलर के गिरोह का हिस्सा थीं। उनका कोई पिछला क्रिमिनल रिकॉर्ड भी नहीं था। ऐसे में जमानत का ग्राउंड बनता है।
सेलिब्रिटीज के लिए कड़ी सजा के प्रावधान की बात को नकारा
कोर्ट ने एनसीबी की तरफ से केस प्रेजेंट कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के उस तर्क को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि सेलिब्रिटीज अगर ऐसे मामलों में लिप्त पाए जाएं तो उनके साथ तुलनात्मक तौर पर अधिक कड़ी सजा के प्रावधान होने चाहिए, क्योंकि वो ढेर सारे लोगों के आदर्श होते हैं और लोग उनसे प्रभावित होकर क्राइम कर सकते हैं।
कोर्ट ने कहा, इस बात को हम नहीं मानते। कानून के सामने सब समान हैं। सेलिब्रिटी होने के चलते किसी को कोई विशेषाधिकार नहीं मिलता तो अधिक सजा की बात कैसे सही हो सकती है। कोर्ट ने रिया के अलावा सैम्युल मिरांडा और दीपेश सावंत को भी जमानत दे दी।
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